Thursday, June 5, 2008

"कहाँ गए वो दिन"

हँसने, मुस्कुराने के ओ दिन गुजर गए.
ओ जूनून , ओ जज्बात सब दिल से उतर गए.
अब रहा नहीं ओ मौसम, न रही चमन की रौनक,
फूलों की बेरुखी से, भौरे भी डर गए.
चाँद तारों के आँगन में, सिमटने लगे उजाले,
सच कहिये तो अंधेरों के, किस्मत स्वर गए.
अब रहा नहीं अपनापन , न रहा ही भाईचारा,
नफरत की तीखी गंध से, सबके दमन भर गए.
समंदर के सफर में , अब ओ सुकून नहीं रहा,
सारे हसीं मंजर , लहरों में बिखर गए.
बस याद बनकर रह गए, "अंसारी" गुजरे दिन,
जब से नए ज़माने के रंग पसर गए.
हँसने , मुस्कुराने के ओ दिन गुजर गए.
By : Noorain Ansari

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