बिगत साल की अच्छी अच्छी बातों को सम्भाल के।
गिले शिकवे सारे मन की नगरी से निकाल के।
यूँ ही तेज करे निरंतर हम जीवन जीने का चस्का।
आओ स्वागत करे दोस्तों साल दो हज़ार दस का।
छुए नए साल में सोहरत आपकी आसमा की बुलंदी को।
ईश्वर सदा के लिए दूर करे इस दुनिया से मंदी को।
जो जी रहें अंधेरों में बिगत कई सालों से।
भगवान उनका भी दीदार कराये इस साल उजालों से।
सुलभ हो जाये रोजी,रोटी हर किसी के बस का।
आओ स्वागत करे दोस्तों साल दो हज़ार दस का
ह्रदय की बंज़र भूमि में फूटे अंकुर आरमानो का।
मिटे प्रेम मुहब्बत से दूरी इंसानों से इंसानों का।
हर रिश्तों में अपनापन झलके,हर आँगन में खुशहाली।
साल का हर दिन हो ईद दशहरा, और हर रात बने दिवाली।
समर्पित हो देश सेवा में लहू हर नस नस का।
आओ स्वागत करे दोस्तों साल दो हज़ार दस का
फनकार : नूरैन अंसारी
Monday, February 15, 2010
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